Illegal Hoardings | अवैध होर्डिंग पर कार्रवाई का हो रहा दिखावा, पूर्व विपक्षी नेता नाना काटे का आरोप
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पिंपरी: पिंपरी-चिंचवड़ शहर (Pimpri-Chinchwad City) के चौक और सड़क किनारे आज भी विज्ञापन के सैकड़ों अवैध होर्डिंग (Illegal Hoardings) लगे हुए हैं। खतरनाक और जर्जर विज्ञापन होर्डिंग्स का स्ट्रक्चरल ऑडिट (Structural Audit of Hoardings) की विस्तृत जानकारी भी जनता के सामने आनी चाहिए। यदि वर्तमान में लगे होर्डिंग को अनुमति दे दी गई है या संबंधित द्वारा अनुमति मांगी गई है, तो क्या अनुमति प्रस्ताव के अनुसार होर्डिंग लगाया गया है? यदि होर्डिंग अनाधिकृत है, तो क्या कार्रवाई की जाती है? साथ ही अगर कोई कार्रवाई नहीं हुई तो जिम्मेदार कौन है? ऐसे ही कई सवालों के जवाब पाने के लिए पूर्व नेता प्रतिपक्ष नाना काटे ने पिंपरी-चिंचवड़ महानगरपालिका कमिश्नर शेखर सिंह को एक ज्ञापन के माध्यम से तुरंत गहन जांच रिपोर्ट जनता के सामने पेश करने की मांग की है।
काटे ने एक ज्ञापन में कहा कि पिंपरी-चिंचवड़ शहर में बेमौसम बारिश के कारण किवले में होर्डिंग गिरने की घटना हुई। इसमें 5 लोगों की जान चली गई। उसके बाद 4 दिन पहले हिंजेवाड़ी इलाके में होर्डिंग का हादसा हुआ था। ऐसे में शहर में अनाधिकृत होर्डिंग की समस्या बढ़ती जा रही है। हालांकि कई इलाकों में महानगरपालिका के अधिकारियों की कार्रवाई महज दिखावा साबित हो रही है। आज भी शहर के कई हिस्सों में खतरनाक होर्डिंग लगे हुए हैं। काटे ने सवाल उठाया है कि महानगरपालिका इस पर कब कार्रवाई करेगा या नागरिकों की जान से खिलवाड़ होता ही रहेगा?
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शहर के चौराहों पर कई होर्डिंग लगाए गए
काटे ने कहा कि शहर के चौराहों पर कई होर्डिंग लगाए गए हैं। होर्डिंग पर कार्रवाई करते हुए महानगरपालिका अधिकारी द्वारा होर्डिंग चालक की मदद की जा रही है क्योंकि बेमौसम बारिश के कारण होर्डिंग्स पर कार्रवाई को रोकने के लिए कई होर्डिंग चालकों ने अपने होर्डिंग्स पर लगे फ्लेक्स को उतार दिया है। शहर के कई चौकों में सड़क से महज पांच से दस फीट की दूरी पर होर्डिंग्स का जाल खड़ा देखा जा सकता है। काटे ने आरोप लगाते हुए बताया कि किवले में हुई घटना के बाद कई होर्डिंग चालकों ने महानगरपालिका के संबंधित अधिकारियों से संपर्क किया और कार्रवाई से बचने के लिए गुप्त बैठक की। बहरहाल, होर्डिंग गिरने की घटनाओं में जान गंवाने वाले आम नागरिकों के जीवन से खिलवाड़ करने वाले महानगरपालिका के अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की सीमा को बढ़ाना जरूरी है। नहीं तो सड़क पर आने-जाने वाले आम नागरिकों के मन में हमेशा भय का माहौल बना रहेगा।
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