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Satpura Bhavan Fire | पहले भी लग चुकी है सतपुड़ा भवन में ‘आग’, कई बार हुई महत्वपूर्ण फाइलें जलकर ख़ाक, जानें आगजनी के आंकड़े

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नई दिल्ली. जहां एक तरफ मध्यप्रदेश शासन (Madhya Pradesh) के प्रमुख कार्यालय सतपुड़ा भवन (Satpura Bhawan Fire News) में बीते सोमवार शाम भयंकर आग लगने से सनसनी मच गई थी। वहीं आज सुबह 7 बजे तक भी भोपाल के सतपुड़ा भवन में सेना की टीम और दमकल विभाग द्वारा आग बुझाने की कोशिश की जा रही है।

वहीं मामले पर भोपाल जिला कलेक्टर आशीष सिंह ने बताया कि, “आग पर अब काबू पा लिया गया है, कही पर अब लपटें नहीं है। सीआईएसएफ, सेना सहित सभी एजेंसियां ​​आग बुझाने के लिए एक साथ आईं और आग पर काबू पा लिया गया है।” हालांकि अब भी सुबह 7 बजे सतपुड़ा भवन के पश्चिमी ब्लॉक के पिछले टॉवर से आग की लपटें रुक-रुककर उठ रही थी। सतपुड़ा भवन की चौथी, पांचवीं और छठवीं मंजिल पर लगी आग को बुझाने लगातार पानी डाले जाने के बाद भी धुएं का गुबार उठता भी दिख रहा।

क्या साजिशन लग या लगाई जाती है आग

हालांकि ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि, संचालनालय में आग लगी हो। इसके पहले भी इन राजकीय और महत्वपूर्ण जगहों पर आग लगती रही है। जिससे कई महत्वपूर्ण या फिर कहें अतिमहत्वपूर्ण फाइलें जलकर ख़ाक होती रहीं हैं।

11 साल पहले भी लगी थी भयंकर आग

देखा जाए तो ऐसा पहली बार नहीं है जब सतपुड़ा भवन में आग लगी हो। दरअसल सतपुड़ा भवन की चौथी मंजिल पर 25 जून 2012 में भी आग लगी थी। तब इस फ्लोर पर तकनीकी शिक्षा विभाग का दफ्तर संचालित होता था। जून 2012 में लगी यहां दरअसल आग शॉर्ट सर्किट से लगी थी।

2018 में चुनाव के नतीजों के बाद भी जब लगी थी आग

इसी तरह फिर 14 दिसंबर 2018 को सतपुड़ा भवन के फोर्थ फ्लोर स्थित स्वास्थ्य संचालनालय के इसी दफ्तर में आग लगी थी। तब भी यहां आग लगने की वजह शॉर्ट सर्किट होना बताया गया था। तब प्रदेश में चुनाव हुए थे और कांग्रेस जीतकर आई थी। 17 दिसंबर को कमल नाथ को मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ लेनी थी, इससे तीन दिन पहले 14 दिसंबर को आल लगने से कई दस्तावेज खाक हो गए थे।

हालांकि ख़ास बात यह थी कि, तब सतपुड़ा भवन में यह आग तब लगी थी, जब मप्र विधानसभा चुनावों के नतीजों के बाद नई सरकार का गठन हो रहा था। इस कारण इस आग की घटना के बाद प्रशासनिक गलियारों में स्वास्थ्य विभाग की तमाम जरूरी फाइलें जल जाने की चर्चा का बाजार भी खूब गर्माया था।

जब विंध्याचल भवन में लगी थी आग

ठीक सतपुड़ा भवन जैसे ही, इससे लगे विंध्याचल भवन में बीते 28 नवंबर, 2013 की देर रात दूसरे माले पर स्थित पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग (विकास आयुक्त कार्यालय) में भीषण आग लग गई थी। तब यह आग स्थापना शाखा में लगी थी और दफ्तर के 40 कमरों में आग फैल गई थी। जिनमें से दो दर्जन कमरे पूरी तरह आग की चपेट में आ गए थे। उनमें बजट शाखा, स्थापना शाखा और विकास शाखा तो पूरी तरह जलकर राख हो गई थी।

 

 

वहीं फिर 5 अक्टूबर 2015 को विंध्याचल के पांचवे माले में आग लगने की दूसरी घटना कृषि संचालनालय में घटित हुई थी। आगजनी में कृषि संचालनालय की बीज शाखा में रखीं विधानसभा के सवाल-जवाबों संबंधी फाइलें जलकर खाक हो गईं थीं । पुलिस ने तब आग का कारण शॉर्ट सर्किट बताया है। विंध्याचल भवन में दो साल में आगजनी की यह दूसरी घटना थी। तक पूर्व कृषि संचालक डॉ. डीएन शर्मा के खिलाफ जांच संबंधी दस्तावेज भी इस आग में खाक की भेंट चढ़ गए थे।

 

गौरतलब है कि, अब से कुछ महीनों बाद  मध्य प्रदेश में फिर से चुनाव होने हैं। ऐसे में ऐसी भयंकर आग का लगना कई सवालों को जन्म दे रहा है। आग पर फिलहाल तो काबू पाया जाता दिख है। लेकिन अभी तक आगलगी के कारणों का खुलासा नहीं हुआ है। पुलिस फिलहाल मामले की जांच कर रही है।

 



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