Seva Vikas Co-Op Bank | द सेवा विकास बैंक की लेखा परीक्षा रिपोर्ट रद्द, यहां पढ़ें पूरी जानकारी
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पिंपरी: सैकड़ों करोड़ रुपए के घोटाले (Scam) का दावा करने द सेवा विकास को. ऑप. बैंक लि. (Seva Vikas Co-Op Bank) की ऑडिट रिपोर्ट, जिसके आधार पर पुलिस, आर्थिक अपराध शाखा, ईडी (ED) द्वारा कार्रवाईयां की गई, यहां तक की आरबीआई (RBI) द्वारा बैंक का लाइसेंस रद्द कर लिक्विडेटर नियुक्त किया गया, को ही राज्य के सहकार मंत्री ने रद्द कर दिया है। बैंक की ट्रायल ऑडिट रिपोर्ट एकतरफा, पक्षपाती और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन है। इसमें सभी खातों को धोखाधड़ी वाले खातों के रूप में गिना गया है। सह पंजीयक, सहकारी समितियों की दिनांक 12 जून, 1 जुलाई 2019 की निरीक्षण रिपोर्ट, 6 अगस्त, 2021 की टेस्ट ऑडिट रिपोर्ट और संलग्न निर्दिष्ट रिपोर्ट को रद्द कर दिया गया है। राज्य के सहकारिता मंत्री अतुल सावे ने सहकारिता आयुक्त को बैंक का वर्ष 2016-17 और 2017-18 का नए सिरे से ट्रायल ऑडिट कराने का आदेश दिया है। इस बीच, ऑडिट रिपोर्ट को रद्द करने से उसके आधार पर दर्ज किए गए आरोपों और अपराधों को रद्द हो जाएंगे।
सेवा विकास बैंक की पूर्व निदेशक, दया अशोक मूलचंदानी ने 2016-17 व 2017-18 के ट्रायल ऑडिट आदेश के विरूद्ध सहकारिता मंत्री के समक्ष अपील दायर की थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि ऑडिट रिपोर्ट गैर उद्देश्य से और बैंक को बदनाम करने के लिए की गई थी। इस अपील में सहकारिता आयुक्त, बैंक प्रशासक, संयुक्त निबंधक को प्रतिवादी बनाया गया है। इस अपील पर सहकारिता मंत्री ने सुनवाई की। सहकारिता आयुक्त ने बैंक के खातों की तीन बार जांच कराने का आदेश दिया। चीनी आयुक्त ने चीनी आयुक्तालय में सह-पंजीयक जाधवर के पर्याप्त कार्यभार को देखते हुए लेखापरीक्षा के लिए नियुक्त नहीं करने की बात तीन बार लिखित रूप से कही थी। इसके बावजूद सहकारिता आयुक्त ने जाधवर को लेखापरिक्षक नियुक्त किया था।
आदेश और तर्कों में भी कारणों पर विचार नहीं किया गया
जाधवर ने ऑडिट रिपोर्ट में परिवादी की सुविधानुसार प्रतिवेदन दिया। यकीनन, यह आपत्ति मान्य है क्योंकि जाधवर की पोस्टिंग कोऑपरेटिव कमिश्नरेट में नहीं है। दिलचस्प बात यह है कि सहकारिता आयुक्त के कार्यालय में ऑडिट का पद होने के बावजूद जाधवर को चीनी आयुक्त के विरोध के खिलाफ जाकर ऑडिट करने के लिए क्यों नियुक्त किया गया? सहकारिता आयुक्त द्वारा कोई उचित औचित्य नहीं दिया गया। आदेश और तर्कों में भी कारणों पर विचार नहीं किया गया।
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ट्रायल ऑडिट पर अंतरिम रोक लगाने की मांग की थी
ट्रायल ऑडिट के लिए सभी ऋण खातों को संयुक्त रजिस्ट्रार जाधवर ने अपनी रिपोर्ट में धोखाधड़ी खातों के रूप में गिना है। इनमें पुलिस की ओर से नियुक्त फोरेंसिक ऑडिटर ने रिपोर्ट दी है कि सागर सूर्यवंशी के खाते में फर्जीवाड़ा नहीं है। उनकी रिपोर्ट में साफ तौर पर कहा गया है कि सूर्यवंशी के खाते में नियमित लेन-देन का हिस्सा था और 50 फीसदी से ज्यादा रकम वसूल हो गई थी। इसका मतलब यह है कि यह कहने की गुंजाइश है कि जाधवर ने सभी खातों को धोखाधड़ी वाले खातों के रूप में मानने के इरादे से ऑडिट किया है। जाधवर की नियुक्ति के खिलाफ बंबई उच्च न्यायालय में बाम्हनकर द्वारा दायर एक याचिका में उन्होंने ट्रायल ऑडिट पर अंतरिम रोक लगाने की मांग की थी। हालांकि कोर्ट ने इस पर स्टे ऑर्डर दे दिया, लेकिन जाधवर ने कोर्ट के स्टे ऑर्डर को नजरअंदाज कर ट्रायल ऑडिट रिपोर्ट पुलिस को सौंप दी। उसी के आधार पर पुलिस ने मामला दर्ज कर गिरफ्तारी की है। इससे यह तथ्य सामने आता है कि जाधवर को पक्षपातपूर्ण तरीके से नियुक्त कर उनकी मदद करने की मंशा थी। जाधवर ने न्यायालय के स्थगन आदेश के बावजूद रिपोर्ट प्रस्तुत कर अपराध की पुष्टि की। जाधव का इस तरह रिपोर्टिंग करना संदिग्ध है। इसलिए उनकी ट्रायल ऑडिट रिपोर्ट को रद्द करने का अनुरोध तथ्यों का उचित है।
यह स्पष्ट है कि ऑडिट जान-बूझकर, एक उद्देश्य के साथ किया गया था।यह ऑडिट रिपोर्ट रद्द कर दी गई है। अत: इस आधार पर लगाए गए आरोप निरस्त किए जाते हैं। उसके आधार पर हमारे खिलाफ दर्ज अपराध भी निरस्त हो जाएंगे। अंत में सत्य की जीत हुई। हमें चारों ओर से झूठे मामलों में घसीटने वाले मुंह के बल गिरे हैं, ऑडिट रिपोर्ट रद्द करने के परिणामस्वरूप अदालती कार्यवाही में अपराध रद्द हो जाएंगे, लेकिन, इस गलती और कुछ के स्वार्थ से बैंक को जो नुकसान हुआ है, उसकी भरपाई कभी नहीं हो पाएगी। आरबीआई ने सेवा विकास बैंक का लाइसेंस बैंक रद्द कर दिया, कई कर्मचारियों की नौकरी चली गई, इसके लिए कौन जिम्मेदार है?
-एड. अमर मूलचंदानी, पूर्व अध्यक्ष, सेवा विकास सहकारी बैंक
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