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Mithuna Sankranti 2023 | आज है ‘मिथुन संक्रांति’, जानिए पूजा का शुभ मुहूर्त और इसकी महिमा

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आज है ‘मिथुन संक्रांति’, जानिए पूजा का शुभ मुहूर्त और इसकी महिमा

सीमा कुमारी

नई दिल्ली: ज्योतिष और अध्यात्मिक दृष्टिकोण से सूर्य देव की महिमा बहुत ही बड़ी है। ग्रहों के राजा सूर्यदेव हर महीने राशि परिवर्तन करते हैं और ये जिस राशि में प्रवेश करते हैं, उस तिथि को उसी राशि के नाम की संक्रांति के नाम से जाना जाता है, जैसे आने वाले 15 जून को सूर्य मिथुन राशि में प्रवेश करेंगे। इस तिथि को ‘मिथुन संक्रांति’ (Mithuna Sankranti 2023) के नाम से जाना जाएगा।

ज्योतिष-शास्त्र के अनुसार, जिस जातक की कुंडली में सूर्य प्रबल स्थिति में होते हैं, उन्हें विशेष लाभ प्राप्त होता है। धार्मिक दृष्टिकोण से भी सूर्य देव को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है और उनकी पूजा प्रत्यक्ष देवता के रूप में की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जिस व्यक्ति पर सूर्य देव की विशेष कृपा बनी रहती है, उन्हें विभिन्न क्षेत्रों में सफलता हासिल होती है। आइए जानें कब है मिथुन संक्रांति, पुण्य काल का समय और इसका फल

ज्योतिष पंचांग के अनुसार, सूर्य देव मिथुन राशि में 15 जून 2023, गुरुवार को शाम 6 बजकर 29 मिनट पर प्रवेश करेंगे। इस विशेष दिन पर पुण्य काल 6 बजकर 29 मिनट से 7 बजकर 20 मिनट के बीच रहेगा और महापुण्य काल भी इसी समय तक रहेगा। मिथुन संक्रांति के दिन सुकर्मा योग का निर्माण हो रहा है, जो पूरे दिन रहेगा।

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धार्मिक महत्व

हर संक्रांति के दिन भगवान सूर्य की पूजा और दान पुण्य का विशेष महत्व होता है। मिथुन संक्रांति भी दान पुण्य के लिहाज से महत्वपूर्ण है। इस दिन सूर्य देव और विष्णुजी की पूजा का विधान है। यह तिथि प्रकृति के बदलाव का भी संकेत देती है।

इसी समय से आम तौर पर वर्षा ऋतु की शुरुआत होती है। कृतिका नक्षत्र से रोहिणी की ओर सूर्य देव के रूख करते ही बारिश की संभावना बढ़ने लगती है। इस दिन किसान सूर्य देव का व्रत रखकर रज पर्व मनाते हैं और अच्छी बारिश की प्रार्थना करते हैं ताकि खेती अच्छी हो। इसके अलावा मिथुन संक्रांति के दिन सिलबट्टे को भूदेवी के रूप में पूजा जाता है।

ज्योतिषियों के अनुसार, इस साल का मिथुन संक्रांति पशु-पक्षियों के लिए बहुत ही अच्छा माना जा रहा है। साथ ही इस दौरान वस्तुओं की लागत भी सामान्य होगी। धन और समृद्धि की प्राप्ति होगी और लोगों का स्वास्थ्य अच्छा होगा। राष्ट्रों के बीच संबंध भी मधुर होंगे। इस दौरान अनाज भंडार में भी वृद्धि दिखाई देगी। 



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