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Auction Plot | बैंक से नीलाम प्लॉट खरीदना पड़ा महंगा, NIT लीजधारक ने गिरवी रखा था प्लॉट, बैंक और खरीददार को HC का झटका

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Nagpur High Court

File Photo

नागपुर. कर्ज वसूली के लिए गिरवी रखे गए प्लॉट की नीलामी करने के लिए जहां बैंक को आफत झेलनी पड़ी, वहीं बैंक द्वारा नीलाम किया गया प्लॉट खरीदना उस समय याचिकाकर्ता के लिए महंगा पड़ गया, जब हाई कोर्ट ने भी दोनों की याचिकाएं सिरे से खारिज कर दीं. उल्लेखनीय है कि पंजाब नेशनल बैंक ने एफआईआर दर्ज कराने के लिए प्रन्यास के विश्वस्त मंडल द्वारा 2 मार्च 2022 को पारित प्रस्ताव को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट में याचिका दायर की. इसी तरह से बैंक से नीलाम प्लॉट खरीदने के बाद अचानक वापस लौटाने के लिए प्रन्यास द्वारा जारी नोटिस को चुनौती देते हुए खरीददार अग्रवाल की ओर से भी याचिका दायर की गई. दोनों याचिकाओं पर एकसाथ सुनवाई के बाद न्यायाधीश अतुल चांदुरकर और न्यायाधीश वृषाली जोशी ने याचिकाएं खारिज कर दीं. 

ट्रस्टियों ने खड़े कर दिए हाथ

प्रन्यास के विश्वस्त मंडल के सदस्य प्रकाश भोयर, संदीप इटकेलवार और अन्य की ओर से बताया गया कि किसी दुर्भावनापूर्ण इरादे से यह प्रस्ताव पारित किए जाने का याचिकाकर्ताओं का उन पर आरोप नहीं है. विश्वस्त मंडल की बैठक में उनके समक्ष रखे जानेवाले प्रस्ताव और संबंधित दस्तावेजों के अनुसार बतौर सदस्य उन्होंने प्रस्ताव को हरी झंडी दी.

वसूली प्रक्रिया में प्रन्यास भी थी शामिल

बैंक की ओर से वसूली के लिए डेब्ट्स  रिकवरी ट्रिब्यूनल के समक्ष प्रक्रिया शुरू की गई थी. इस प्रक्रिया में प्रन्यास भी एक पक्ष के रूप में शामिल थी. लेकिन उस समय बैंक के पास अनापत्ति प्रमाणपत्र नहीं होने को लेकर प्रन्यास ने कोई भी मुद्दा उपस्थित नहीं किया था. इसके बावजूद अनापत्ति प्रमाणपत्र के बिना नीलामी करना कोई गैरकानूनी नहीं बल्कि अधिक से अधिक अनियमितता हो सकती है. इसके लिए बाद में भी मंजूरी लेकर सुधारा जा सकता है. 

-पंजाब नेशनल बैंक, याचिकाकर्ता.

NOC की आवश्यकता नहीं

प्रन्यास की ओर से 16 जनवरी 2023 को याचिकाकर्ता खरीददार को भेजा नोटिस तर्कसंगत नहीं है. 23 अक्टूबर 2019 को केवल खरीदी पत्र बनाने से पूर्व एनओसी नहीं लिए जाने के लिए यह नोटिस भेजा गया. वास्तविक रूप में इसके लिए एनओसी की आवश्यकता नहीं है. प्रन्यास ने 13 सितंबर 2012 को आरटीआई के तहत दिए गए जवाब में इसका खुलासा किया गया है. 

-गोविंद अग्रवाल, याचिकाकर्ता.

लीज की शर्ते बंधनकारक

संबधित प्लॉट लीज का है. 24 अगस्त 1998 को लीज पर मुहर लगाई गई. जिसके बाद से लीजधारक या किसी भी खरीददार पर लीज की शर्तें बंधनकारक है. 7 अप्रैल 1998 को आवंटन पत्र में प्रन्यास की अनुमति के बिना संबंधित प्लॉट के लीज अधिकार को ट्रांसफर नहीं किया जा सकता है इसका स्पष्ट उल्लेख किया गया है. प्लॉट रियायती दरों पर दिया गया. जिससे कानून और प्रन्यास सभापति द्वारा लगाई गई शर्तों का पालन जरूरी है.

 -नागपुर सुधार प्रन्यास. 

इस तरह रही प्रक्रिया

-मौजा चिखली देवस्थान में औद्योगिक उपयोग के लिए प्लॉट नंबर 101 का प्रन्यास ने ऑक्शन किया था. 

-7 अप्रैल 1998 को कमेलश शाह को लीज पर उक्त प्लॉट का आवंटन किया. 

-24 अगस्त 1998 को शर्तों के आधार पर लीज एग्रीमेंट कर लिया. किफायती दरों पर लीजधारक को प्लॉट दिया.

-कलमेश शाह ने वित्तीय आवंटन के लिए उक्त प्लॉट बैंक में गिरवी रख दिया. लेकिन कर्ज की अदायगी नहीं कर पाया.

-18 अगस्त 2018 को बैंक ने यह सम्पत्ति नीलाम करने का निर्णय लिया. प्रवीणभाई ठक्कर ने उक्त नीलामी में प्लॉट खरीदी किया.

-23 अक्टूबर 2019 को ठक्कर ने उक्त प्लॉट गोविंद अग्रवाल और मयूर अग्रवाल को बेच दिया.

-कमलेश शाह ने ही प्रन्यास और बोर्ड ट्रस्टियों के पास शिकायत दर्ज कराई. जिसके बाद 2 मार्च 2022 को हुई बोर्ड की बैठक में पीएनबी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने को हरी झंडी दी गई. 

-प्रस्ताव के आधार पर प्रन्यास ने खरीददार को 16 जनवरी 2023 को नोटिस जारी कर 7 दिनों के भीतर लीज की सम्पत्ति वापस करने के आदेश दिए. 

-20 मार्च 2023 को राज्य सरकार ने बैंक के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का प्रस्ताव रद्द कर दिया. किंतु प्लॉट कब्जे में लेने के प्रस्ताव के उस हिस्से को यथावत रखा. 



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