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EPFO News | खुशखबरी! EPF खाताधारकों के हायर पेंशन के लिए बढ़ी समय सीमा, अब 11 जुलाई तक कर सकतें है आवेदन

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खुशखबरी! EPF खाताधारकों के हायर पेंशन के लिए बढ़ी समय सीमा, अब 11 जुलाई तक कर सकतें है आवेदन

नई दिल्ली: EPFO को लेकर एक बड़ी खबर सामने आई है। दरअसल कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने उच्च पेंशन का विकल्प चुनने के लिए आवेदन जमा करने की अंतिम तिथि अब बढ़ा दी है। जी हां अब यह तारीख 11 जुलाई तक बढ़ा दी है। बता दें कि यह अवधि कर्मचारियों को दी जाती है, ताकि वे हायर पेंशन के लिए आवेदन कर सकें। नियोक्ता के लिए यह अवधि 3 महीने बढ़ा दी गई है। आइए जानते है पूरी डिटेल्स… 

जानकारी के लिए आपको बता दें कि कर्मचारियों के लिए उच्च पेंशन के लिए आवेदन करने की समय सीमा तीसरी बार बढ़ा दी गई है। बता दें कि यह अवधि 26 जून को ही समाप्त हो रही थी। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद ऊंची पेंशन चुनने के लिए 3 मार्च तक का समय दिया गया था। इसके बाद इसे 3 मई तक बढ़ा दिया गया है। जी हां पिछली बार यह अवधि 26 जून तक बढ़ाई गई थी, लेकिन अब यह अवधि 11 जुलाई तक बढ़ा दी गई है। ईपीएफओ ने सोमवार शाम को एक सर्कुलर जारी कर उच्च पेंशन से जुड़े सभी तरह के मुद्दों को सुलझाने के लिए 15 दिन का आखिरी मौका दिया है। 

जानें EPFO ने क्या कहा… 

जैसा कि निवेदनमें कहा गया है, कोई भी पात्र पेंशनभोगी या ईपीएफओ सदस्य जो केवाईसी अपडेट करने में असमर्थ है और विकल्प/संयुक्त विकल्प के सत्यापन के लिए आवेदन जमा करने में कठिनाई का सामना कर रहा है, उसे तुरंत ‘ईपीएफआई जीएमएस’ को रिपोर्ट करना चाहिए। ईपीएफओ के मुताबिक, यह शिकायत ‘उच्च वेतन पर उच्च पेंशन लाभ’ के तहत शिकायत श्रेणी में जाकर की जा सकती है। इसके बाद भी किसी भी शिकायत के निवारण के लिए रिकार्ड सुरक्षित रखा जाएगा। ऐसी जानकारी EPFO ने दी है। 

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अब कैसे मिलेगी पेंशन?

जानकारी के लिए आपको बता दें कि ईपीएफ और विविध प्रावधान अधिनियम, 1952 के तहत पेंशन का कोई प्रावधान नहीं था। 1995 में ईपीएस की शुरुआत के बाद से पेंशन का भुगतान किया जा रहा है। ईपीएस का योगदान नियोक्ता द्वारा किया जा रहा था। कर्मचारी से कोई राशि नहीं ली गयी. आइये इसे और अधिक स्पष्टता से समझते हैं। कर्मचारी और नियोक्ता दोनों कर्मचारी के मूल वेतन और महंगाई भत्ते का 12-12 प्रतिशत ईपीएफओ में योगदान करते हैं। कर्मचारियों का पूरा हिस्सा EPFO को जाता है. वहीं, नियोक्ता के ईपीएस का 12 फीसदी में से 8.33 फीसदी और अन्य का 3.76 फीसदी ईपीएफओ में जाता है। 



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