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Guru Pradosh Vrat 2023 | आज है जून का ‘प्रदोष व्रत’, यहां जानें तिथि, मुहूर्त और इस विधि से करें महादेव शिव की आराधना

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आज है जून का ‘प्रदोष व्रत’, यहां जानें तिथि, मुहूर्त और इस विधि से करें महादेव शिव की आराधना

सीमा कुमारी

नई दिल्ली: इस बार जून महीने का ‘प्रदोष व्रत’ आज से यानी 1 जून दिन गुरुवार को रखा गया है। गुरुवार होने की वजह से इसे गुरु प्रदोष व्रत (Guru Pradosh Vrat 2023) कहा जाएगा। प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव शंकर और माता पार्वती की पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने और पूजा करने से शिव जी के साथ माता पार्वती की भी विशेष कृपा प्राप्त होती है। आइए जानें प्रदोष व्रत की सही पूजन विधि क्या है-

तिथि

पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 1 जून को दोपहर 1 बजकर 39 मिनट पर होगी और इसका समापन 2 जून को दोपहर 12 बजकर 48 मिनट पर हो जाएगा। प्रदोष व्रत के दिन शिव की उपासना प्रदोष काल में की जाती है। ऐसे में यह व्रत 01 जून 2023, गुरुवार के दिन रखा जाएगा। गुरुवार का दिन होने के कारण इसे ‘गुरू प्रदोष व्रत’ के नाम से जाना जाएगा।

शुभ मुहूर्त

पंचांग में बताया गया है कि 1 जून को भगवान शिव की पूजा प्रदोष काल अर्थात शाम 7 बजकर 14 मिनट से रात्रि 9 बजकर 16 के बीच करने से विशेष लाभ मिलता है। साथ ही, इस दिन शुभ वरीयान योग का निर्मण हो रहा है जो शाम 7 बजे तक रहेगा और इस दिन स्वाती नक्षत्र बन रहा है जो पूर्ण रात्रि तक है। ज्योतिष-शास्त्र में इन दोनों को धार्मिक कार्य के लिए बहुत शुभ बताया गया है।

पूजा विधि

  • गुरू-प्रदोष व्रत वाले दिन सुबह स्नान करके साफ कपड़े पहन लें। इसके बाद शिवजी को याद करके व्रत एवं पूजा का संकल्प करें।
  • फिर शाम के शुभ मुहूर्त में किसी शिव मंदिर जाकर या घर पर ही भगवान भोलेनाथ की विधिपूर्वक पूजा करें।
  • पूजा के दौरान शिवलिंग को गंगाजल और गाय के दूध से स्नान कराएं। उसके बाद सफेद चंदन का लेप जरूर लगाएं।
  • भगवान भोलेनाथ को अक्षत, बेलपत्र, भांग, धतूरा, शमी का पत्ता, सफेद फूल, शहद, भस्म, शक्कर आदि अर्पित करें।
  • इस दौरान ”ओम नमः शिवाय” मंत्र का उच्चारण करते रहें। इस दिन पश्चात, ‘शिव चालीसा’, ‘गुरू प्रदोष व्रत कथा’ का पाठ करें।
  • फिर घी का दीपक जलाएं और शिव जी की आरती करें।
  • इसके बाद पूजा का समापन क्षमा प्रार्थना से करते हुए शिवजी के सामने अपनी मनोकामना व्यक्त कर दें।
  • इसके अगले दिन सुबह स्नान आदि के बाद फिर से शिव जी की पूजा करें। फिर सूर्योदय के बाद पारण करें।

महिमा

सनातन धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यह व्रत रखने से भगवान शिव जल्द प्रसन्न हो जाते हैं और साधक की सभी मनोकामना पूर्ण कर देते हैं। इस विशेष दिन पर भगवान शिव के साथ माता पार्वती की पूजा का भी विधान है। माना जाता है कि ऐसा करने से दाम्पत्य जीवन में सुख-समृद्धि आती है और परिवार में कष्टों का नाश होता है। इसके साथ प्रदोष व्रत रखने से कई प्रकार के ग्रह-दोष से भी मुक्ति प्राप्त हो जाती है।



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