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MP News | HC ने आपसी सहमति से संबंध बनाने की आयु सीमा काम करने की अपील की, कहा- इंटरनेट की वजह से जल्द जवान हो रहे बच्चे

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Madhya Pradesh High Court Khandpeeth

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Madhya Pradesh High Court Khandpeeth

ग्वालियर: मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की ओर से केंद्र सरकार से अपील की गई है कि आपसी सहमति से संबंध बनाने की वैधानिक उम्र कम कर दिया जाए। अभी देश में आपसी सहमति से संबंध बनाने की वैधानिक उम्र 18 साल है। हाई कोर्ट की खण्डपीठ ग्वालियर ने अपील की कि सहमति से संबंध बनाने की उम्र को दोबारा 18 साल से घटाकर 16 साल कर दी जाए। यह अपील हाईकोर्ट के जस्टिस दीपक अग्रवाल ने एक मामले की सुनवाई करने के बाद किया।

2020 का मामला
मामला 2020 का है। छात्रा के साथ दुष्कर्म करने के आरोप में राहुल नाम का कोचिंग संचालक जेल में है। आज इसी मामले में सुनवाई के बाद जस्टिस दीपक अग्रवाल ने केंद्र से सहमति से संबंध बनाने की उम्र कम करने की अपील की। आरोपित राहुल ने दुष्कर्म की एफआईआर को निरस्त करने के लिए याचिका दायर की है।

इस मामले में कथित दुष्कर्म के चलते नाबालिग पीड़िता गर्भवती हो गई थी और गर्भपात के लिए पिता ने हाई कोर्ट से गर्भपात की अनुमति मांगी थी। जिसके बाद कोर्ट ने गर्भपात के लिए सितंबर, 2020 में अनुमति दी थी। राहुल जुलाई 2020 से जेल में बंद है।

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हाई कोर्ट का तर्क
हाई कोर्ट ने अपने इस अपील पर तर्क दिया है कि इंटरनेट के युग में युवक-युवती जल्दी जवान हो रहे हैं। ये एक- दूसरे की तरफ आकर्षित होकर आपसी सहमति से संबंध बना रहे है, लेकिन जब इसकी जानकारी बाहर आती है, तो युवक को दोषी पाया जाता है। ऐसे मामलों में युवक को आरोपित नहीं माना जा सकता है। 

इंटरनेट की वजह से युवक-युवती जल्दी हो रहे जवान  
मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस दीपक अग्रवाल ने कहा कि इंटरनेट की वजह से आजकल लड़का-लड़की उम्र से पहले जवान हो रहे हैं। इसी कारण ये एक-दूसरे के प्रति आकर्षित हो जाते हैं और वे 14-15 साल की उम्र में ही आपसी सहमति से संबंध बना लेते हैं।

संबंध बनाने की आयु को दोबारा 16 साल कर देना चाहिए
जस्टिस  ने आगे कहा कि यह केवल उम्र का मामला है, जिसमें राहुल युवती के संपर्क में आए और उसके साथ सहमति से शारीरिक संबंध स्थापित कर लिया। कानून बनाने वालों ने सभी चीजों को ध्यान में रखते हुए संबंध बनाने की आयु को दोबारा 16 साल कर देना चाहिए।

किशोरों और युवकों के साथ में अन्याय हो रहा
आज के समय में अधिकतर मामलों में लड़की की आयु 18 साल से कम पाई जाती है, ऐसे में किशोरों व युवकों के साथ अन्याय हो रहा है। केन्द्र सरकार को आपसी सहमति से संबंध बनाने की आयु को एक बार फिर विचार करने के बाद 18 साल से घटाकर 16 साल कर देना चाहिए, ताकि किसी के साथ अन्याय न हो। 

निर्भया कांड के बाद बढ़ी थी उम्र
कोर्ट ने कहा कि दिसंबर 2012 में दिल्ली में हुए निर्भया कांड के बाद यौन उत्पीड़न कानून को सख्त बनाने के कई प्रयास किए गए। इसी के तहत आईपीसी की धारा 375 (6) में बदलाव कर सहमति से संबंध बनाने की उम्र 16 वर्ष से बढ़ाकर 18 वर्ष कर दिया गया था। लेकिन इसके बाद ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जिसमें आपसी सहमति से रिश्ता बनाने के बाद भी लड़के को आरोपित बनाकर कार्रवाई की जाती थी।



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