नन्ही कलम विशेष

Shani Pradosh Vrat 2023 | ‘इस’ विशेष प्रदोष में पूजा से मिलती है शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या से मुक्ति, जानिए भगवान शिव की आराधना का यह विशेष दिन और पूजा का शुभ मुहूर्त

[ad_1]

‘इस’ विशेष प्रदोष में पूजा से मिलती है शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या से मुक्ति, जानिए भगवान शिव की आराधना का यह विशेष दिन और पूजा का शुभ मुहूर्त

सीमा कुमारी

नई दिल्ली: हर महीने की त्रयोदशी तिथि के दिन प्रदोष व्रत रखने की परंपरा है। इस बार आषाढ़  महीने की ‘प्रदोष व्रत'(Shani Pradosh Vrat 2023) 1 जुलाई, शनिवार के दिन है। इस दिन शनिवार होने की वजह से इसे ‘शनि प्रदोष व्रत’ कहा जाएगा। इस व्रत को करने से शिव जी प्रसन्न होते हैं और शनि-दोष भी दूर होता है।

‘शनि प्रदोष व्रत’ पुत्र प्राप्ति की कामना के लिए भी किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि ‘शनि प्रदोष’ के दिन व्रत रखकर शिवजी की पूजा करने से संतान प्राप्ति का आशीर्वाद मिलता है और व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।आइए जानें ‘शनि प्रदोष व्रत’ की पूजा का शुभ मुहूर्त और महत्व के बारे में-

शुभ मुहूर्त

प्रदोष पूजा का मुहूर्त शाम 7 बजकर 23 मिनट से 9 बजकर 24 मिनट तक रहेगा। त्रयोदशी तिथि का प्रारम्भ सुबह 1 जुलाई को 1 बजकर 16 मिनट से हो रहा है। वहीं त्रयोदशी तिथि का समापन रात 11 बजकर 7 मिनट पर होगा।

पूजा-विधि

पूजा प्रदोष व्रत वाले दिन पूजा के लिए प्रदोष काल यानी शाम का समय शुभ माना जाता है।

सूर्यास्त से एक घंटे पहले, भक्त स्नान करें और पूजा के लिए तैयार हो जाएं।

स्नान के बाद संध्या के समय शुभ मुहूर्त में पूजा आरंभ करें।

गाय के दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल आदि से शिवलिंग का अभिषेक करें।

फिर शिवलिंग पर श्वेत चंदन लगाकर बेलपत्र, मदार, पुष्प, भांग, आदि अर्पित करें।

फिर विधिपूर्वक पूजन और आरती करें।

महत्व

प्रदोष व्रत रखने से भगवान भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं और सभी दुखों को दूर करके सुख, शांति, समृद्धि प्रदान करते हैं। वहीं जो लोग संतानहीन हैं, उनको विशेषकर शनि प्रदोष व्रत करना चाहिए। कहा जाता है इस व्रत को करने से शिव की कृपा से जातक को संतान की प्राप्ति होती है।



[ad_2]

Source link

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

कृपया खुद मेहनत करें । "धन्यवाद"