पाला से फसलों के बचाव के लिए देवास जिले के किसानों को कृषि विभाग ने दी विशेष सलाह….
देवास जिले के कई हिस्सों में कड़ाके की ठण्ड पड़ रही है। मौसम विभाग ने आने वाले तीन-चार दिनों में तापमान में अधिक गिरावट होने की संभावना बताई है। ऐसे में फसलों को पाले से नुकसान होने की आशंका है। उप संचालक कृषि श्री आर.पी. कनेरिया ने पाले से बचाव के लिए किसानों को सलाह दी है कि फसलों के अवशेष, कूड़ा-करकट, घांस-फूस जलाकर धुंआ कर सकते हैं, वहीं पाले के दिनों में फसलों में सिंचाई करने से भी पाले का असर कम होता है। इसके अतिरिक्त रासायनिक नियंत्रण के लिए घुलनशील गंधक 80 प्रतिशत, डब्ल्यूपी का 2 से 2.5 ग्राम मात्रा प्रति लीटर पानी के हिसाब से 200 लीटर पानी में घोलकर फसलों में प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें अथवा थायो यूरिया का 0.5 ग्राम प्रति लीटर पानी का घोलकर छिड़काव करें। उप संचालक कृषि श्री आर.पी. कनेरिया ने बताया कि असल में पाला रबी सीजन की सरसों, मटर, चना और सब्जियों की फसलों को नुकसान पहुंचाता है। फसलों में तब पाला पड़ता है जब सर्दी के मौसम में दोपहर के पहले ठंण्डी हवा चल रही हो और हवा का तापमान बिल्कुल कम होने लग जाए और दोपहर के बाद अचानक हवा चलना बंद हो जाए, तब फसलों में पाला पड़ने की संभावनाएं बढ़ जाती है। ऐसे में फसलों को पाला से बचाना आवश्यक है। पाला से प्रभावित पौधों की पत्तियां, कोपलें, फूल, फल सब धीरे-धीरे सूखने लगते हैं। इस प्रकार फसलों की कोमल टहनियां पाले से नष्ट हो जाती हैं। पाले का अधिक असर फूलों व पत्तियों पर ही पड़ता है। पाले से प्रभावित फसलों का हरा रंग भी समाप्त हो जाता है और पौधों का रंग सफेद सा दिखाई देता है, जिससे किसानों को काफी नुकसान होता है।