Masik Shivratri 2023 | जून के महीने में आज है ‘मासिक शिवरात्रि’, जानिए किस मुहूर्त में करें पूजा
[ad_1]
सीमा कुमारी
नई दिल्ली: सृष्टि के रचयिता देवों के देव महादेव को समर्पित ‘मासिक शिवरात्रि’ (Masik Shivaratri 2023) का पावन पर्व आज यानी 16 जून, शुक्रवार को है। पंचांग के अनुसार, प्रत्येक महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है। इस प्रकार आषाढ़ माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी 16 जून को है।
भगवान शिव के निमित्त व्रत भी रखा जाता है। धार्मिक मान्यता है कि, मासिक शिवरात्रि पर सृष्टि के रचयिता भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। साथ ही जीवन में व्याप्त समस्त दुखों का नाश होता है। अतः मनोकामना पूर्ति हेतु श्रद्धा भाव से मासिक शिवरात्रि के दिन भगवान शिव संग माता पार्वती की पूजा करनी चाहिए। आइए जानें पूजा का शुभ मुहूर्त, विधि एवं महत्व
शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह की चतुर्दशी 16 जून को सुबह 8 बजकर 39 मिनट से शुरू होकर 17 जून को सुबह 9 बजकर 11 मिनट पर समाप्त होगी। अतः 16 जून को मासिक शिवरात्रि मनाई जाएगी। साधक 16 जून को व्रत रखकर भगवान शिव की पूजा आराधना कर सकते हैं। इस व्रत के पुण्य प्रताप से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
यह भी पढ़ें
पूजा विधि
मासिक शिवरात्रि के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सबसे पहले भगवान शिव एवं माता पार्वती को प्रणाम करें। इसके बाद सभी कामों से निवृत्त होने के बाद गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें
अब आचमन कर सफेद रंग के वस्त्र धारण करें और सूर्य देव को जल का अर्घ्य दें। तदोउपरांत, भगवान शिव एवं माता पार्वती की पूजा दूध, दही, फल, फूल, धूप, दीप, भांग, धतूरा और बेलपत्र से करें।
पूजा के समय शिव चालीसा का पाठ करें। साथ ही महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें। अंत में आरती-अर्चना कर भगवान शिव से मनोकामना करें। दिनभर उपवास रखें। शाम में आरती-अर्चना कर फलाहार करें। अगले दिन पूजा-पाठ संपन्न कर व्रत खोलें। इसके बाद जरूरतमंदों और ब्राह्मणों को दान दें।
धार्मिक महत्व
मान्यताओं के अनुसार, और पौराणिक कथाओं के मुताबिक चतुर्दशी तिथि के दिन भगवान शिव शिवलिंग के रूप में प्रकट हुए थे। सबसे पहले भगवान विष्णु और ब्रह्मा जी ने उनकी पूजा की थी। तभी से इस दिन को भगवान शिव के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है।
कई पुराणों में भी इस व्रत का जिक्र किया गया है। जिसमें बताया गया है कि इस व्रत को माता लक्ष्मी, माता सरस्वती, गायत्री और सीता माता और पार्वती माता सहित कई देवियों से रखा है। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को रखने से व्यक्ति के जीवन में सुख शांति मिलती है। साथ ही रोगों से मुक्ति भी मिलती है।
[ad_2]
Source link