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Pune News | पुणे में नहीं मिली एंबुलेंस, शवगृह भी बंद, रात भर ऑटो रिक्शा में शव को ले गए परिजन

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पुणे: पुणे को स्मार्ट सिटी (Smart City) के रूप में पहचाना जाता है, परंतु पुणे (Pune)  से एक ऐसी घटना सामने आई है जिसने स्मार्ट सिटी के चेहरे पर कलंक लगा दिया है। साथ ही यह पुणे की मौजूदा स्थिति को दर्शाता है। पुणे में समय पर सुविधाएं (Facilities) नहीं मिलने के कारण एक परिवार को पूरी रात शव (Dead Body) को लेकर आटो रिक्शा (Auto Rickshaw) में लेकर घूमना पड़ा है। दादी की मौत के बाद परिवार को आगे की प्रक्रिया के लिए एंबुलेंस नहीं मिली और न ही शवगृह (Mortuary) ही मिला। पुणे शहर के कैन्टोमेन्ट भाग से यह घटना सामने आई है। इसे लेकर परिजनों ने प्रशासन के प्रबंधन पर रोष जताया है।  

पुणे शहर के कैन्टेंटमेंट में प्रमोद चाबुकस्वार को रात भर अपनी दादी के शव को लेकर घूमना पड़ा है। उन्होंने इसके लिए प्रशासन को जिम्मेदार बताया है। रात के 10 बजे  प्रमोद चाबुकस्वार के घर पर नई  मोदीखाना कैंप से एक अस्पताल से केवल 500 मीटर की दूरी पर मौत हुई। उसके बाद उन्होंने 95 वर्षीय दादी के शव को शवगृह में रखने के लिए निकले। परिजन धोबी घाट स्थित बोर्ड के वाहन अड्डे पहुंचे। शव को रिक्शा में लेकर अस्पताल के शवगृह रखने के लिए गया, परंतु अस्पताल का शवगृह बंद था। वहां बताया गया कि तकनीकी खराबी के कारण शव कुछ दिनों से बंद है। इसके बाद वह दादी के शव को रिक्शे से ससून अस्पताल ले गए और फिर प्रक्रिया शुरू की।

मृतक के साथ ऐसा बर्ताव?

इस तरह की घटना से स्वास्थ्य प्रशासन को लेकर नाराजगी जताई जा रही है। कोई भी रात में फोन नहीं उठा रहा था और न ही एंबुलेंस मिला रहा था। इसके साथ ही शवगृह भी बंद था जिसके कारण लोगों में आक्रोश बना हुआ है। लाखों रुपए खर्च कर शवगृह भी बनाया गया है, परंतु इसमें भी उचित सुविधाओं का अभाव है और तकनीकी खराबी के कारण बंद है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि इस शवगृह का क्या उपयोग है?

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कैन्टोन्टमेंट बोर्ड महानगरपालिका में विलय की मांग

कैन्टेंटमेंट बोर्ड लोगों के लिए योग्य सुविधा पूरा नहीं करती है। इसके कारण कैन्टेंटमेंट बोर्ड महानगरपालिका में विलय करने की मांग मृतक के रिश्तेदार अक्षय चाबुकस्वार ने  की है।

प्रशासन ने आरोपों को किया खारिज

इस मामले में प्रशासन पर लगाए गए सभी आरोपों को प्रशासन ने ही खारिज कर दिया है। प्रशासन का कहना है कि इस मामले में कर्मचारियों की कोई गलती नहीं है। इस संबंध में प्रशासन का आरोप है कि राजनीतिक हथकंडे अपनाकर अस्पताल को बदनाम करने का प्रयास किया जा रहा है। 



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