Aap Ki Rai | आपकी राय: सिटी के RUB बारिश में कितने उपयोगी
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शहर में दो क्षेत्रों को जोड़ने के लिए रेलवे अंडरब्रिज (आयूबी) का निर्माण किया गया है। बारिश के दिनों में ऐसे ब्रिज संकट पैदा करने लगते हैं और अवागमन बंद हो जाता है। कई बार जान की हानि भी होती है। नरेंद्र नगर, लोहापुल, मनीष नगर, कोराडी रोड सभी के हाल एक हैं। आरयूबी शहर की जरूरत हैं या फिर रेलवे ओवरब्रिज (आरओबी) बनाये जाने चाहिए। इस विषय पर पूर्व महापौर संदीप जोशी और इंस्टीटयूट ऑफ टाउन प्लानर्स के पूर्व अध्यक्ष पराग दाते ने अपने-अपने मत व्यक्त किए।
आरयूबी बनाने में झंझट कम
रेलवे अंडरब्रिज (आरयूबी) बनाने में झंझट कम है। निर्माण कार्य जल्दी होता है जिससे लोगों को राहत मिलती है। कई स्थानों पर रेलवे ओवरब्रिज (आरओबी) बनाना संभव नहीं रहता जिसके कारण आरयूबी को प्राथमिकता दी जा रही है। इसमें खर्च, जमीन, समय सब कुछ कम लगता है। शहर के जीवन को आसान बनाने में इसका महत्वपूर्ण योगदान है। काम जल्दी होने से लोग राहत महसूस करते हैं। नागपुर में कई आरयूबी बन चुके हैं और कई बन रहे हैं। इसके पीछे धारना यही है कि लोग आसानी से अपने-अपने क्षेत्र में आ-जा सकें। आरओबी की तुलना में आरयूबी को मंजूरी मिलना भी काफी आसान है। पिछले 9 वर्षों में शहर में कई आरयूबी का निर्माण किया गया है। इससे यातायात सुगम हुआ है लेकिन यह भी सत्य है कि बारिश के दिनों में लोगों को जल जमाव का सामना करना पड़ता है जिससे लोगों को भारी परेशानियों सा सामना करना पड़ता है। यह परिस्थिति केवल नागपुर में नहीं है, बल्कि देश के बड़े-बड़े शहर भी इसका सामना कर रहे हैं। अत्याधिक बारिश या फिर तेज बारिश के वक्त ही संकट होता है। 365 दिनों में 355 दिन ये आरओबी लोगों को राहत ही प्रदान करते हैं। जलजमाव को कम करने के लिए प्रशासन को मुस्तैद रहा होगा। पंपिंग पर जोर देना होगा ताकि लोगों को आंशिक समस्या भी न हो सके। –संदीप जोशी (पूर्व महापौर)
आरंभ में ही प्लानिंग जरूरी
रेलवे अंडरब्रिज वर्तमान दौर की सच्चाई है। परिवहन को सुगम बनाने में ये काफी मददगार साबित होते हैं। कम लागत, कम समय और कम झंझट में इसे तैयार कर लिया जाता है। परंतु नागपुर में आरयूबी निर्माण कार्य के पूर्व समुचित प्लानिंग नहीं होने से समस्याएं ज्यादा हैं। अगर निर्माण कार्य के पूर्व अधिकारी, ठेकेदार एवं संबंधित पक्ष बैठकर सही-सही प्लानिंग करे तो लोगों को समस्याएं कम होंगी और जलजमाव जैसी परिस्थिति उत्पन्न नहीं होगी। आज शहर के नए-पुराने सभी आरयूबी का एक ही हाल है। नए आरयूबी में भी पानी लबालब है तो पुराने आरयूबी में भी। ऐसे में हम तकनीक का इस्तेमाल कहां कर रहे हैं। दिमाग का उपयोग कैसे कर रहे हैं यही सवाल उठता है। जनता को राहत दिलानी है तो इन बातों पर गौर करना अहम है। नागपुर में जो भी आरयूबी बने हैं, वह बिना सोच के बने हैं। ड्रेनेज, जलजमाव के बारे में कुछ भी विचार नहीं किया गया है। अधिकांश आरयूबी नाला के पास हैं। इसलिए प्राकृतिक रूप से पानी जमना स्वाभाविक है। इसके लिए उपाय यही है कि सभी में टैंक बने और पंपिंग की व्यवस्था ढलाव वाले क्षेत्र में हो, स्टार्ट पाइंट पर क्रास ड्रेनेज की प्लानिंग हो और जिधर पानी पाइप लाइन है, उस ओर पानी का प्रवाह करें, आरयूबी की ऊंचाई वर्तमान रोड के समक्ष हो ताकि पानी आरयूबी के अंदर न आ सके। नरेंद्र नगर में श्री नगर की ओर स्लोप बने और पानी उस ओर भेजने का प्रबंध हो, जिससे पानी ज्यादा आसानी से निकल सकेगा। -पराग दाते (पूर्व अध्यक्ष, टाउन प्लानर एसोसिएशन ऑफ इंडिया)
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