Ashadhi Amavasya 2023 | आज है ‘आषाढ़ी अमावस्या’, पितृदोष से निवारण के साथ कई अन्य बातों के लिए है महत्वपूर्ण, जानिए इस विशेष अमावस्या की महिमा
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सीमा कुमारी
नई दिल्ली: सनातन धर्म में अमावस्या और पूर्णिमा तिथि का बहुत बड़ा महत्व है। पंचांग के अनुसार, हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के अगले दिन अमावस्या तिथि पड़ती है। इस प्रकार आज यानी 18 जून को ‘आषाढ़ अमावस्या’ (Ashadha Amavasya 2023) है। अमावस्या तिथि पर आकाश में चंद्रमा दिखाई नहीं देता है। इस दिन पूजा, जप, तप और दान करने का विधान है। अतः, अमावस्या तिथि पर विधि विधान से भगवान विष्णु की पूजा-उपासना की जाती है। इस दिन पितरों की भी पूजा की जाती है। इसमें तर्पण और श्राद्ध-कर्म किया जाता है। आइए जानें ‘आषाढ़ अमावस्या’ की शुभ मुहूर्त, पूजा-विधि और इसकी महिमा-
शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, आषाढ़ अमावस्या की तिथि 17 जून को सुबह 9 बजकर 11 मिनट से शुरू होकर अगले दिन 18 जून को 10 बजकर 6 मिनट पर समाप्त होगी। अतः, 17 जून को दर्श अमावस्या और 18 जून को आषाढ़ अमावस्या है। इस दिन पूजा, जप, तप और दान किया जाएगा। अमावस्या तिथि पर कालसर्प और पितृदोष का निवारण भी किया जाता है।
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पूजा विधि
इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर भगवान विष्णु का ध्यान करें।
गंगाजल युक्त पानी से स्नान-ध्यान करें। गंगा स्नान संभव हो तो करें।
फिर आचमन कर पूजा का संकल्प लें और सूर्य देव को जल चढ़ाएं।
सूर्य देव के मंत्रों का जाप करें और सूर्य चालीसा का पाठ अवश्य करें।
भगवान विष्णु की भक्ति भाव से पूजा करें और विष्णु सहस्त्रनाम पढ़ें।
पूजा समापन के बाद बहते हुए पानी में तिल प्रवाहित करें।
इस दिन तिल (तिल के उपाय) प्रवाहित करने से घर में सौभाग्य का आगमन होता है।
अंत में गरीबों या ब्राह्मणों को दान करें और उनका आशीर्वाद लें।
महत्व
आषाढ़ का महीना हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। इस महीने भगवान शिव और भगवान विष्णु दोनों की ही पूजा-आराधना की जाती है। आषाढ़ माह में शिवजी और विष्णुजी दोनों की एक साथ पूजा करने से जीवन में व्यक्ति को हर एक क्षेत्र में सफलताएं मिलती हैं और सुख-समृद्धि आती है।
इसके अलावा आषाढ़ माह में भगवान सूर्य की पूजा और अर्घ्य देने से धन-संपदा और मान-सम्मान की प्राप्ति होती है। आषाढ़ मास में कनेर के फूल,लाल रंग केपुष्प अथवा कमल के फूलों से भगवान की विशेष पूजा करनी चाहिए।जो सुवर्ण के समान रंग वाले कदम के फूलों से सर्वव्यापी गोविन्द की इस माह में पूजा करते है,उन्हें कभी यमराज का भय नहीं होगा। तुलसी,श्यामा तुलसी तथा अशोक के द्वारा सर्वदा पूजित होने पर श्री विष्णु नित्यप्रति कष्ट का निवारण करते हैं।
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