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Kokila Vrat 2023 | क्यों करती हैं महिलाएं ‘कोकिला व्रत’, जानिए इस व्रत की महिमा, और जानें इसकी सही तिथि और पूजा का मुहूर्त

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क्यों करती हैं महिलाएं ‘कोकिला व्रत’, जानिए इस व्रत की महिमा, और जानें इसकी सही तिथि और पूजा का मुहूर्त

सीमा कुमारी

नई दिल्ली: सनातन धर्म में आषाढ़ महीने की पूर्णिमा का बहुत अधिक महत्व हैं। क्योंकि, इस दिन ‘कोकिला व्रत’ (Kokila Vrat) रखा जाता है। इस व्रत को सुहागिन महिलाएं और कुंवारी लड़कियां सौभाग्य की प्राप्ति के लिए रखती हैं। वहीं, कुंवारी लड़कियां इस व्रत को मनभावन पति पाने के लिए रखती हैं। लड़कियां इस दिन भगवान शिव जैसा पति पाने की कामना महादेव और माता सती से करती हैं। इस बार यह व्रत आज यानी 2 जुलाई रविवार को रखा जाएगा। आइए जानें कोकिला व्रत की तिथि, मुहूर्त और महत्व-

 तिथि

 आषाढ़ पूर्णिमा तिथि शुरू – 2 जुलाई 2023, रात 8.21

आषाढ़ पूर्णिमा तिथि समाप्त – 3 जुलाई 2023, शाम 5.28

पूजा मुहूर्त – रात 8.21 – रात 9.24

 आषाढ़ पूर्णिमा तिथि शुरू – 2 जुलाई 2023, रात 8.21

आषाढ़ पूर्णिमा तिथि समाप्त – 3 जुलाई 2023, शाम 5.28

पूजा मुहूर्त – रात 8.21 – रात 9.24

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पूजा विधि

इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करे। साथ ही इस दिन अपने दिन की शुरुआत सूर्य को अर्घ देने के साथ करें। इसके बाद माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा करें। साथ ही शिवजी का दूध और गंगाजल के साथ अभिषेक करें।

कोकिला व्रत में भगवान शिव की पूजा की जाती है। भगवान शिव की पूजा के लिए सफेद, लाल फूल, बेलपत्र, भांग, धतूरा, दूर्वा, दीपक, धूप और अष्टगंध का इस्तेमाल जरूर करें।

आप चाहें तो निराहार रहकर इस व्रत को कर सकते हैं। अगर समर्थ नहीं हो तो आप एक समय फलाहार कर सकते हैं।

ध्यान रखें की इस दिन पूजा करते समय कोकिला व्रत कथा का पाठ जरूर करें।

साथ ही इसमें शाम की पूजा का विशेष महत्व है तो शाम के समय शिवजी की आरती करें और बाद में उन्हें भोग लगाएं। शाम की पूजा के बाद ही फलाहार करें।

महिमा

धार्मिक मान्यता के मुताबिक माता सती ने महादेव को पति स्वरूप पाने के लिए बहुत ही जतन किए थे। उन्होंने भी कोकिला व्रत रखा था। इस व्रत को करने से उनको भगवान शिव पति के रूप में मिले। इस व्रत को जो भी पूरी श्रद्धा और निष्ठा से रखता है उसको मनपसंद जीवनसाथी मिलता है साथ ही शादी विवाह के बीच आ रही अड़चन भी दूर हो जाती है। इसी कामना के साथ कोकिला व्रत रखा जाता है। शास्त्रों की मानें तो माता सती को कोयल का रूप माना गया है। इसीलिए पूर्णिमा के दिन उनकी आराधना की जाती है।



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