निशानेबाज़ | कभी दी जाती थी सोने की अशर्फी, सुनक ने खिलाई जेलेंस्की को बर्फी
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पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज पहले राजा-महाराजा किसी पर खुश होते थे तो उसे स्वर्णमुद्रा या अशर्फी दिया करते थे लेकिन अब जमाना बदल गया है. ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने न जाने किस सनक में आकर यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की को अपनी मां के हाथो से बनी बर्फी खिलाई.’’ हमने कहा, ‘‘यह बात सही है कि मां के बनाए पकवानों का स्वाद कुछ और ही होता है लेकिन अच्छा होता कि सुनक जेलेंस्की को जलेबी खिलाते या जलजीरा पिलाते. बर्फी बाइडन या बोरेस जानसन को खिलाई जा सकती थी. सवाल यह भी उठता है कि ब र्फी किस चीज की थी? खोये की बर्फी, बेसन की बर्फी या खोया बर्फी? नागपुर में बनी आरेंज बर्फी के बारे में सुनक ने सुना नहीं होगा. जब विधानमंडल का सत्र समाप्त होता है तो विधायक घर लौटते समय आरेंज बर्फी पैक करवा कर ले जाते हैं.’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘किसी को प्रेम से क्या खिलाया-पिलाया, इसका ढिंढोरा नहीं पीटना चाहिए लेकिन सुनक ने ऐसा किया. उन्होंने बताया कि उनकी मां ने भारतीय मीठी बर्फी बनाई थी जिसके दूसरे दिन उनकी जेलेंस्की से भेंट हुई. बातचीत शुरू होने पर जेलेंस्की ने कहा कि मुझे भूख लगी है, कुछ खिलाओ. तब मैंने उन्हें यह बर्फी खिलाई.’’ हमने कहा, ‘‘प्रसिद्ध लोगों ने क्या खाया, क्या पहना इसकी भी खबर बन जाती है. रुस के राष्ट्रपति पुतिन की युद्ध की भूख अब तक शांत नहीं हुई है. गत वर्ष फरवरी से लगातार खून खराबा और विनाशलीला जारी है. दुनिया चिंतित है कि शांति कब लौटेगी. जब रिश्तों पर बर्फ जम जाए तो उसे पिघलना जरूरी होता है.’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज आप सुनक की बर्फी से सीधे रिश्तों पर जमी बर्फ पर चले गए. युद्धपिपासु नेता कुछ समझने को तैयार नहीं हैं. सुलह का कोई रास्ता नहीं निकल रहा है. इंसानियत और भाईचारे की भावना डीप फ्रीजर में जाकर कहीं जम गई है. टीस इस बात की है कि वर्ल्ड पीस नहीं हो पा रही है. पश्चिमी देशों की मदद नहीं होती तो अब तक रुस यूक्रेन को निगल चुका होता. कहावत है- पूत के पाँव पालने में नजर आते हैं जबकि यहां पुतिन यूक्रेन तक अपना पैर फैलाने में लगे हैं. इतनी मुसीबत के बावजूद जेलेंस्की का जोश और जलवा बरकरार है.’’
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